This section is for paid subscribers only. Our subscription is only $3700/- for one full year.
You get unlimited access to all paid section and features on the website with this subscription.
निर्बल से लड़ाई बलवान की - ये कहानी है दियें की और तूफान की।
एक रात अंधियारी, थी दिशाएं कारी कारी
मंद मद पवन था चल रहा
अंधियारे को मिटाने जग में ज्योत जगाने
एक छोटा सा दीया था कहीं जल रहा
अपनी धुन में मगन उसके तन में अगन
उसकी लौ में लगन भगवान की।।
कहीं दूर था तूफ़ान, दीये से था बलवान
सारे जग को मसलने मचल रहा
झाड़ हो या पहाड़ देऊं पल में उखाड़
सोच सोच के ज़मी पे उछल रहा
देख नन्हा सा दीया उसने हमला किया
अब देखो लीला विधी के विधान की।।
दुनिया ने मुख मोड़ा ममता ने साथ छोड़ा
अब दिये पे ये दुख पड़ने लगा
पर हिम्मत न हार मन में मरना बिचार
अत्याचार की हवा से लड़ने लगा
सर उठाना या झुकाना या भलाई में मर जाना
घड़ी आई उसके भी इम्तिहान की।।
फिर ऐसी घड़ी आई घनघोर घटा छाई
अब दिये का भी दिल लगा कांपने
बड़े ज़ोर से तूफ़ान आया भरता उड़ान
उस छोटेसे दीयेका बल मांपने
तब दिया दुखियारा वो विचारा बेसहारा
चला दाव पे लगाने बाज़ी प्रान की।।
लड़ते लड़ते वो थका फिर भी बुझ न सका
उसकी ज्योत में था बल रे सच्चाई का
चाहे था वो कमज़ोर पर टूटी नहीं डोर
उसने बीड़ा था उठाया रे भलाईका
हुआ नहीं वो निरास चली जब तक सांस
उसे आस थी प्रभू के वरदान की।।
सर पटक पटक पग झटक झटक
न हटा पाया दीये को अपनी आन से
वार बार बार कर अंत में हार कर
तुफ़ान भगा रे मैदान से
अत्त्याचार से उभर जली ज्योत अमर
रही अमर निशानी बलिदान की।।
(From the official press booklet)