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Tatar Ki Hasina (1968)

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स्त्री, धन और जमीन इन्हीं तीन वस्तुओं के लिए इस संसार में सदैव से झगड़े होते है। इन्सान ने सैतान का रूप लिया और इसी कारण हावेल ने कावेल का रक्त बहाया। इतिहास का एक एक पृष्ठ इस बात को दृष्टिगोचार करता है और हमारा सम्पूर्ण इतिहास कत्ल खून और नष्टर्भष्ट से डुबा हुवा है।

“तातार की हसीना” भी इन्हीं घटनाओं से पूर्ण है। गुलनार की राजधानी तातार की साही नृतिका थी और शाहजादा फिराज तातार की वलिअहद क्यूपड ने दोनों के दिलों को एक ही तीर से छेद दिया था लेकिन क्रर वजीर को इन दोनों का प्रेम एक आँख ना वाहा और उसने शाह - तातार के कान भर के गुलनार को शहर बदलने का हुक्म प्रमाणित कर लिया था गुलनार के साथ शाहजादा फीरोज और सलतनत तातार का जाबाज जानिसार और वफादार सिपह सालार भी फरार होने पर मजबूर हो गये।

इन तीनों की मुलाकात बगदाद को मासूम शहजादा हसन और रिजवान से होती है। अभाग्य से वे सब जंगलियों के जाल में फंस जाते हैं। इन सबों की जिन्होंने कीस प्रकार सहायता की, यह सब किस प्रकार किस तरह जंगलियों की जाल से बचे और श्वाना बंदोशों से सरदार ने इन सब की किसलिये सहायता की - शाहजादा फिरोज ने किस प्रकार अपना सिंहासन वापिस लिया? इन सम्पूर्ण प्रश्नों के उत्तर के लिये पर्दे पर शीघ्र देखिये......।

(From the official press booklet)