“मोर्चा” एक ममता और क्षमता की टक्कर है। “मोर्चा” अपने आप में एक तो रूला भरनेवाली कहानी है। “मोर्चा” एक 12 साल के लड़के छोटू की कहानी है जो अपने माँ बाप और बहन को जिन्दा आग में जलते हुए देखता है। राम मोहन एक ऐसा मुजरिम जो अपने साथियों के साथ “छोटू” के पिता जो एक बैंक में नौकरी करते थे राम मोहन से सौदे के लिये तैयार नहीं हुआ, अपनी ईमानदारी की कीमत उसे अपने परिवार के साथ देनी पड़ी तकदीर ने छोटू को बचा दिया।
उसने अपने माँ बाप को वचन दिया कि वह राम मोहन और साथियों को ढूंढेगा। छोटू ने उन्हें ढूंढा?
छोटू ने अपने आपको किस तरह पत्थर का बनाया और शैतानों की दीवार को कैसे तोड़ा? छोटू का साथ किस्मत के अलावा किसने दिया? एक ऐसी कहानी जो आपके मन में समा जायेगी। आपके दिल को छू देगी? एक छोटे लड़के की हिम्मत को देखकर आप दांतों तले उंगली दबा लेंगे। मोर्चा एक जोश है। मोर्चा एक सबक है - देखिये रंगीन परदे पर......
(From the official press booklet)