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प्रत्येक भारतीय नारी के घर आंगन में तुलसी तो होती ही है और जिस घर में तुलसी का निवास हो वहां दुःख दरिद्रता नहीं रहती। हर बरस देव उठनी एकादशी के दिन तुलसी और शालिग्राम के विवाह का उत्सव धुमधाम से मनाया जाता है, फिर भी तुलसी कुवांरी ही मानी जाती हैं। ऐसा क्यों? पुराण काल में मथुरा नरेश कालनेमि की एक कन्या थी, जिसका नाम वृंदा था। एक दिन सखियों के साथ हंसती खेलती हुई वृंदा अनजाने में दुर्वासा ऋषि को छू लेती है। दुर्वासा क्रोध में आकर उसे श्राप दे देते हैं कि उसका विवाह एक राक्षस के साथ होगा और फिर वह किसी परपुरुष द्वारा अपवित्र की जायगी। विधि का लेख मिथ्या नहीं होता, अस्तु वृंदा का विवाह दावराज जालंधर के साथ हो जाता है।
एक दिन राहू के कहने पर जालंधर इंद्रलोक पर चढ़ाई कर देता है। इन्द्र को जीत कर, इंद्रानी को अपमानित कर, अपने आप को तीनो लोकों का नाथ मानते हुए जालंधर स्वयं को भगवान कहलवाने लगता है। वृंदा जालंधर को समझाती है तो वह उसे भी अपमानीत करता है। ब्रह्मा के वरदान के कारण जालंधर ने विष्णु पर विजय पाई तो नारद ने भगवान शंकर को उसके विरूद्ध उसकाया। पति भक्ति तथा सती वृंदा के सतीत्व के कारण स्वयं महाकाल शिव को भी हार माननी पड़ी। अब जालंधर स्वयं को अजर और अमर समझने लग गया तो सती वृन्दा ने उसे समझाने का प्रयत्न किया इस पर जालंधर ने उसे जीवित जला देने का हुक्म दे दिया परन्तु भगवान की भक्ति के कारण वृन्दा बच गई।
जालंधर ने जब माता पार्वती पर कुदृष्टि डाली तो नारद ने जगत भर की नारी जात की लाज मर्यादा की बात सभी देवताओं से कही। इस पर विष्णु सती वृन्दा के सतीत्व खंदन द्वारा उसके पति जालंधर के नाश करने के लिए तत्पर हुए।
जिस समय जालंधर शंकर के साथ रणक्षेत्र में युद्ध कर रहा था, विष्णु ने स्वयं जालंधर का रूप धारण कर वृन्दा के सतीत्व का ख्ंाडन किया। फलतः जालंधर की मृत्यु हुई। जब वृन्दा को पति की मृत्यु का समाचार मिला तो उसने तत्काल विष्णु को शाप देकर उन्हें पत्थर का बना दिया। क्या विष्णु पुनर्जीवित हुए? वृन्दा का सतीत्व खंडित होने पर भी उसे कुंवारी क्यों मानते हैं? हर वर्ष तुलसी (वृन्दा) और शालिग्राम का विवाह क्यों किया जाता है? इन प्रश्नों का उत्तर है "महासती तुलसी"।
[From the official press booklet]