indian cinema heritage foundation

Justice Chaudhury (1982)

Subscribe to read full article

This section is for paid subscribers only. Our subscription is only $37/- for one full year.
You get unlimited access to all paid section and features on the website with this subscription.

Subscribe now

Not ready for a full subscription?

You can access this article for $2 + GST, and have it saved to your account for one year.

Pay Now
  • Release Date1982
  • GenreAction, Comedy
  • FormatColor
  • LanguageHindi
Share
74 views

वकील आर.के. चौधरी जब जस्टीस चौधरी बना तो सिर्फ़ इसलिये कि वो सच्चा-इन्साफ पसंद-मेहनती-और रिश्वत को नफ़रत की निगाह से देखनेवाला आदमी था-येकसूरों को छोड़ना और मुजरिमों को कड़ी से कड़ी सज़ा देना उसका उसूल था। इसी अलूस की बीना पर उसने एक बहुत बड़े स्मगलर के भाई शंकर सिंह को फाँसी की सज़ा दे दी। शंकर सिंह का भाई जयसिंह और उसका वकील कैशालनाथ उसके जानी दुश्मन हो गये।

जस्टीस चौधरी की खुशहाल घरेलु ज़िन्दगी में सिर्फ़ एक ही दरार थी - वो थी कि उसकी गूँगी बेटी लक्ष्मी। रिश्ते बनते-बनते टूट जाते थे और जस्टिस चौधरी अपनी बेटी के लिये हमेशा परेशान रहता था।

जयसिंह और कैलाश ने चैधरी से बदला लेने और उसे झुकाने के लिए एक प्लान बनाया जिसकी बिना पर उनके गैंग के ही एक आदमी गोपाल ने चौधरी की गूँगी बेटी लक्ष्मी से शादी मंजूर कर ली। चौधरी और उसकी बीवी जानकी खुश हो गये क्योंकि गूँगी बेटी का घर बस गया। लेकिन कुछ ही दिनों में उन्हें पता चल गया कि अगर चौधरी गैंगवालों को सज़ा देता रहेगा तो उसकी बेटी की ज़िन्दगी दूभर हो जायेगी और उसे मैके वापस आना पड़ेगा। जब चैधरी इन धमकियों के सामने भी नहीं झुका तो जयसिंह और कैलाश ने मिल कर चैधरी के बेटे इन्स्पेक्टर रमेश पर झूटा इल्ज़ाम लगाकर उसे एक कतल के इल्ज़ाम में गिरफ्तार करवा दिया।

सत्य और इन्साफ़ पसंद चौधरी ने अपने बेटे को भी जेल की सज़ा दी।

रामू नाम का एक जवान जिसकी होबी कारों की रेस थी - इत्तफ़ाकन उसकी मुलाकात रेखा से हो गयी। रेखा वकील कैलाशनाथ की बेटी थी - रामू और रेखा में प्यार हो गया और वो शादी के सपने देखने लगे।

लेकिन तक़दीर की एक ठोकर ने रामू को चैधरी के सामने लाकर खड़ा कर दिया। रामू राधा का बेटा था और राधा का संबन्ध जवानी में चैधरी के साथ भी रह चुका था - ये राज़ बदमाशों ने पता लगा लिया। और राधा की तकलीफ़ों और मुसीबतों का कारण चैधरी को बनाकर - रामू के दिल में उन्होंने जस्टीस चौधरी के खिलफ़ नफ़रत भर दी। रामू अपनी माँ का बदला लेने के लिये जयसिंह और कैलाश के साथ मिल कर जस्टीस चौधरी को खतम करने के लिये प्लान बनाने में मशरूफ़ हो गया।

लेकिन इत्तफ़ाक से चौधरी और राधा की मुलाकात हो गयी। दोनों गलतफ़हमी का शिकार थे। जान बूझ कर चैधरी ने राधा को नहीं छोड़ा था। राधा ने जब यह हकीकत रामू के सामने पेश की तो रामू को होश आया कि वो गलत रास्ते पर चल रहा है। उसने जस्टीस चौधरी को बदमाशों के चुँगल से बचा लिया। सब की गलत-फ़हमियाँ दूर हो गयीं। गोपाल ने लक्ष्मी को अपना लिया। जस्टीस चौधरी ने रामू को अपना लिया और रामू ने जस्टीस चौधरी को।

[From the official press booklet]