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खूब सूरत हसीन वादियों में वे मयूर की तरह कौन नाच रहा है..... इसका अंग अंग तो बिजली की तरह थिरक रहा है। आखिर ये है कौन? कहीं ये कबीले के सरदार की बेटी तो नहीं। ये शेर कैसा... सरजू अपनी हरकतों से बाज नहीं आयेगा। कबीले की हर लड़की अपनी जागीर समझता है और चाहता है हर लड़की उसके बिस्तर की शोभा बन जाये...!
वह जंगल में दो शहरी किसे तलाश कर रहे है... अरे इन्हें ता कबीले वाले ने बंधी बना लिया। अब इनका क्या होगा? लगता है दोनों जासूस है। मगर वे लोग कौन है... हाथो में पिस्तोले लिये इधर उधर भटक रहे है... वे क्या...? ये तो इस कमीने सूरज से मिल गये.... लगता है कनीसे में कोई तूफान आने वाला है। सूरज के इरादे ठीक नहीं... सरदार और उसनी बेटी रानी की जान खतरे में है।
वाह! ये क्या देख रहा हूँ दुश्मन दोस्त बन गये... रानी-राजा एक दुसरे से यार कर रहे है... चलो अच्छा हुआ जंगल और शहर बासीयों में रिश्मा तो बना...! मगर इन रिश्तो क बीच खाई खोदने वाला भी तो है। सरजू खामोश पड़ा बैठेगा। वही हुआ न जिसका डर था...। मगर वो दोनों भी कहा हाथ आने वाले है...। अरे वो तो शहर आ गये... मगर शहर में ये लोग क्या करेंगे? इसका जवाब ही जंगल क्वीन।
[From the official press booklet]