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मनुष्य के जीवन में प्रेम मोहब्बत का महत्व सर्वोपरी है। प्रेम के बिना जीवन निरर्थक है। प्रेम के साम्राज्य में ही संसार फलत-फूलता है, इसलिए लैला-मजनू, सोहनी-महीवाल, शीर-फरियाद, मिर्जा-साहिबा, हीर-रांझा, इत्यादी समाज से लड़ते-लड़ते जोश-ए-जवानों में अमर हो गये।
बादल (बंटी) और बिजली (मिनाक्षी) दोनों एक ही कॉलेज के विधार्थी है। बादल एक गरीब माँ का (आशा शर्मा) इकलौता बेटा है। बिजली राय बहादुर साहब (गोगा कपूर) की इकलौती बेटी है। राय साहब ने ही बचपन से बिजली को बड़े लाड़ प्यार के साथ पाला पोसा है। बादल और बिजली एक दूसरे से प्यार करते हैं। जब ये प्यार राय साहब के सामने जाहिर होता है तो राय साहब बादल पर बहुत अत्याचार करते हैं, बादल और बिजली को मारने की धमकी भी देता है। लेकिन अपनी जवानी के जोश में ये मिलना नहीं छोड़ते हैं। तभी राय साहब एक साजिश में सपेरा (रमेश गोयल) से बादल की मोत का सौदा कर बादल को मरवा देता है।
अब राय बहादूर अपने दोस्त मंत्री (अजीत वाछवानी) के पुत्र के साथ बिजली की शादी तय कर देते हैं। लेकिन बिजली का जज्बाती प्यार ’जोश-ए-जवानी’ में आत्महत्या करने पर मजबूर कर देता है। लेकिन बादल की माँ बिजली को बचा लेती है।
अब राय साहब (गोगा कपूर) को एहसास होता है कि बिजली के बिना मेरा जीवन कुछ भी नहीं है, और बादल के बिना बिजली का कुछ नहीं है। इधर रॉकी (रवि) मन्त्री को बेटा बिजली के साथ सादी के सपने देखता है, लेकिन एक दिन अचानक बादल फिर से जोश में बिजली के पास पहुँच जाता है। यह मिलन रॉकी से नहीं देखा गया। रॉकी पागलपन में उन दोनों को हमेशा के लिए सुला देने का निर्णय लेता है।
क्या बादल और बिजली का प्यार परवान चढ़ पाया? रॉकी, बादल और बिजली का क्या हुआ................? इन सवालों का जवाब पाने के लिये देखिए, प्यार, और रोमांस से भरपुर सबल सिंह फिल्मस प्रस्तुत- ’जोश-ए-जवानी’।
[From the official press booklet]