झांसी रानी एक कर्तव्यपरायण और बहुत ही ईमानदार पुलिस आफिसर है। उसका पति चंद्रशेखर भी अपनी पत्नी की तरह ही ईमानदार निष्ठावान और सिद्धांत प्रिय व्यक्ति है। वह एक फैकट्री में काम करता है, जिसके मालिक हैं कैलाश नाथ और महेन्द्र नाथ, जो शैतान के भी बाप हैं। और उनका गुरु है, एक्स. एम.एल.सी. चैरंगीलाल दोमुखिया, जो एक अख़बार का मालिक भी है और हमेशा दो तरफ़ा बयान देता रहता है।
झांसी रानी का छोटा भाई रवि महेन्द्र नाथ की बेटी रेनु का सहपाठी है। रेनु रवि से प्यार करती है, यह बात कैलाश नाथ और महेन्द्र नाथ को एक आँख नहीं भाती।
चंद्रशेखर मज़दूर यूनियन का लीडर होने के नाते मज़दूरों के अधिकारों के लिए भूख हड़ताल करता है, जिसकी कीमत उसे अपनी जान देकर अदा करनी पड़ती है।
झांसी रानी यह जानते हुए भी कि उसके पति का हत्यारा कैलाशनाथ है, उसे गिरफतार नहीं कर सकती।
कैलाशनाथ, चैरंगीलाल और महेन्द्र नाथ हमेशा लोगों को झांसी के खिलाफ़ भड़काते हैं। एक बार सरकार की अनुमति के बिना वे झांसी के खिलफ़ एक मीटिंग करते हैं। पुलिस पर कीचड़ उछालते हैं। झांसी उन्हें गिरफ़तार कर लेती है। एस.पी., झांसी को नाजायज़ डांटता है और उन्हें छोड़ देने का आदेश देता हे। झांसी उन्हें रिहा कर देती है मगर उसे एक कारी चोट पहुँचती है। वह अपनी नौकरी से इस्तीफ़ा दे देती है।
हरी कैलाशनाथ का लड़का, विक्रम चैरंगीलाल का भाई उसे पीटते हैं। रवि उनसे अपनी बहन का बदला लेता है। कैलाशनाथ और महेन्द्र नाथ झांसी की बेटी जयोति का अपहरण कर लेते हैं। झांसी महेन्द्र नाथ का खून कर देती है।
मुक़दमा सेशन्स जज की अदालत में चलता है। किस को क्या सज़ा मिली, यह जानने के लिए आप को एक निहायत ही खूबसूरत और दिलचस्प फ़िल्म “इन्साफ़ की आवाज” ज़रुर देखना होगा।
(From the official press booklet)