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Dharti Kahe Pukar Ke (2006)

  • Release Date2006
  • GenreDrama
  • FormatColor
  • LanguageBhojpuri
  • Run Time148 mins
  • Length429801
  • Number of Reels16
  • Gauge35mm
  • Censor RatingA
  • Censor Certificate NumberCIL/3/10/2006
  • Certificate Date08/03/2006
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अर्जुन इलाहाबाद युनिवर्सिटी में पढ़ाई कर रहा था। पढ़-लिखकर वो आई.पी.एस. अफसर बनना चाहता था। गाँव में उसके भईया-भाभी को भी उससे यही उम्मीद थी। अर्जुन को अपने गाँव से बड़ा प्रेम था। उसे जब भी छुट्टी मिलती वह गाँव का रूख करता था। अब की बार वह होली की छुट्टी में गाँव जाने की तैयारी कर रहा था। उसके साथ उसके दोस्त दीपक ने भी साथ जाने का मन बना लिया।

अर्जुन दीपक की जीप से इलाहाबाद से गाँव चल पड़े। दोनों का सफर बड़ा आनन्दमय रहा। रास्ते भर वह दीपक से गाँव की मिट्टी, खुशहाली, संस्कार और सभ्यता की बातें करता रहा। पर गाँव के बाज़ार पर पहुँचते ही उसकी बातें बेअसर होती रही। गाँव का बाजार बन्द था। वजह थी एक बाहूबली विधायक का आतंक। एक कारोबारी को बाहुबली विधायक बीर मोहबिया के गुन्डों ने अपहरण कर लिया था और फिरौती न मिलने पर उसे मार कर फेंक दिया गया था। जिसके विरोध में सभी व्यापारियों ने बन्द आयोजित किया था।

अभी कुछ ही दिन गाँव में हँसी-खुशी गुजरे थे। मौका मिलते ही अर्जुन ने अपनी प्रेमिका रजनी से भी दीपक को मिला दिया था। अर्जुन और रजनी ने भविष्य के लिए सुनहरे सपने देखे थे लेकिन एक हादसे ने उनके सपनों को बिखेर दिया। अर्जुन के आई.पी.एस. अफसर बनने का सपना अधूरा रहा गया और अर्जुन रजनी के प्यार के बीच कई अड़चनें आ गई। उस एक हादसे ने अर्जुन को वीर मोहबिया के सामने लाकर खड़ा कर दिया। अब अर्जुन का मक़्सद था गाँव - ज्वार को वीर मोहबिया के आतंक से मुक्त कराना।

अर्जुन ने संकल्प कर लिया कि वह गाँव वालों के दिलों से वीर मोहबिया का भच दूर करेगा। गाँव में शिक्षा को बढ़ावा देगा। लोगों को अन्याय के विरूद्ध लड़ने का हौसला देगा और उसके इस मिशन में रजनी के साथ उस क्षेत्र के एस.पी. कुणाल सिंह को उसे पूरा सहयोग मिला।

एस.पी. कुणाल सिंह आज के सिस्टम से परेशान थे। चाहते हुए भी वह वीर मोहबिया को गिरफ़्तार करने में असमर्थ थे, लेकिन अर्जुन के आ जाने से उन्हें एक ऐसा सिपाही मिल गया जो उनके लिए लड़ सकता था। कुणाल सिंह और अर्जुन ने मिलकर वीर मोहबिया के खिलाफ जंग का एलान कर दिया।

क्या एस.पी. कुणाल सिंह और अर्जुन वीर मोहबिया के आतंक को खत्म कर सके? क्या अर्जुन और रजनी का पयार सफल हुआ? क्या आतंक से कर्राहती और अमन की गुहार लगाती धरती की पुकार को गाँव-जिल्हा सुन सका? ऐसे कई सवालों का जवाब पर्दे पर देखिए।

(From the official press booklet)

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