कम्मो मद्रास के रईस सेठ गिरधारीलाल की मातृहीन लाड़ली इकलौती बेटी है।
सेठ गिरधारीलाल ने कम्मो को जहाज़ के केबिन में बन्द कर रखा है, क्योंकि वह बाप के मर्जी के ख़िलाफ़ सुमन्त से शादी करना चाहती है। मौका पाकर कम्मो केबिन से भाग निकलती है। जब वह मद्रास से बेंगलोर जा रही थी बस में उसकी मुलाकात सागर से-जो एक पत्रकार और लेखक है- होती है। इधर सेठ गिरधारीलाल ने कम्मो का पता लगानेवाले को रु. 1,25,000 का इनाम ऐलान किया।
आप एक शायर हैं और कम्मो सागर के साथ बस में सफ़र कर रहे हैं। आपने कम्मो के भागने की ख़बर पढ़ी। इनाम पाने की लालच से आप कम्मो को डराते हैं। कम्मो, सागर की मदद से शायर से पीछा छुड़ाती है। बस रुक जाने से सागर-कम्मो लाला बनवारीलाल की धर्मशाला में आते है। लाला शादी-शुदाओं को ही जगह देते हैं, इसलिये मजबूरन सागर “हम मियाँ-बीवी हैं” कहकर कम्मो के साथ दाखिल होता है।
भगवान ग़रीबी से तंग है। ऑटोरिक्शा में अपनी बीवी के साथ कम्मो की तलाश में लाला की धर्मशाला में पहुँच जाता है। सागर की चालाकी से दोनों मायूस होकर लौटते हैं। कम्मो-सागर की सफ़र आगे शुरु होती है। भगवान और उसकी बीवी से बचने के लिए इस बार सागर कम्मो को मदारीलाल के सराय में रुकना पड़ता है। इस बीच कम्मो-सागर एक दूसरे के काफ़ी नज़दीक आते हैं। सागर कम्मो से शादी करना चाहता है। लेकिन शादी के लिए रुपए कहाँ है- सागर रुपयों का इन्तज़ाम करने उसके दोस्त एडिटर के पास जाता है। वह सागर की मदद करता है- खुशी-खुशी सागर लौटता है- लेकिन इस बीच मदारी लाल की बीवी कम्मो को अकेली पाकर उसके चरित्र पर शक करती है और उसे बुरी तरह ज़लील कर सराय से निकाल देती है।
ज़िन्दगी का एक सबसे बड़ा सबक़ सीखकर कम्मो घर लौटती है। बाप की खुशी का ठिकाना नहीं- वह जिस आदमी से अब तक सख्त नफ़रत करता था उससे ही कम्मो की शादी का ऐलान करता है। उसे बेटी के हृदय-परिवर्तन का पता नहीं था।
कहानी के इस छोरपर आश्चर्यकारक घटनाओं का सूत्रपात होता है।
वह क्या है यह आप सबको देखना लाज़मी है। देखिए “चोरी चोरी” में।
[from the official press booklet]