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'देश का मशहूर संगीतकार रजत वर्मा - शीतल पुरी का हत्यारा' - ये खबर सारे देश में बिजली की तेज़ी से फैल जाती है। सभी के मुंह पर एक बात - नाज़ुक सुरों से खेलने वाला एक जज़्बाती इन्सान अचानक इतना बेरहम कैसे हो सकता है? जो भी हो, अदालत द्वारा जमा किये सबूतों के आधार पर रजत के खूनी होने में तो कोई शक था ही नहीं - अलबत्ता एक बात और भी खुल कर सामने आई कि प्यार की आड़ में भोली जवानियों से खेलना भी उसकी आदत है। अदालत का तो यहाँ तक कहना है कि शीतल और तुलसी नाम की लड़की के अलावा राजत ने अपनी बीवी मुक्ता को भी एक खिलौने से ज़्यादा नहीं समझा। मुक्ता यह सुन कर तिमलमिला जाती है, वो कहती है - ये सच है कि अलग अलग हालात में रजत के जीवन से ये तीन नाम जुड़े, लेकिन ये सरासर झूठ है कि उसने किसी को धोखा दिया।
मुक्ता को उसने प्यार किया और बाक़ायदा शादी की। शीतल एक मामूली डांसर थी जिसे कुशल फ़नकार बना कर विदेशों के स्टेज पर उतारने की ज़िम्मेदारी रजत पर डाली, जाने माने प्रमोटर शफ़ीने रजत के लिए शीतल सिर्फ एक कलाकार थी लेकिन शीतल रजत की कला के साथ साथ उसे भी पा लेना चाहती थी। शीतल के इस इरादे को भांप कर नाक़ामयाब किया रजत की वफ़ादार नौकरानी की बेटी तुलसी ने।.... लेकिन होनी को कुछ और ही बदा था, मुक्ता के रास्ते के इस कांटे को दूर करने की कोशिश में तुलसी खुद ही एक कांटा बन गई। मुक्ता और रजत के बीच एक दरार पड़ गई जिसे अपनी चालों से और भी गहरा किया।
शीतल ने, इतना ही नहीं मौके का फ़ायदा उठा कर शो के बहाने वह रजत को विदेश भी खींच ले गई। एक तरफ़ मुक्ता रजत के विरह में घुलने लगी और दूसरी तरफ तुलसी अपने पेट में पल रहे बच्चे के भविष्य की चिन्ता में। बच्चे को जन्म देने के बाद तुलसी के जीने का बस एक ही कम़सद बाक़ी था - किसी भी क़ीमत पर रजत और मुक्ता को मिला देना।
क्या मुलसी ऐसा कर सकी?
क्या तुलसी के बच्चे को वो भविष्य मिला जो वो चाहती थी?
इन सारे सवालों के जवाब जानने के लिए देखिये फिल्म "नज़राना"।
(From the official press booklet)